Tuesday 17 January 2023

ग़ज़ल- जीना अब दुश्वार हुआ है

जीना अब दुश्वार हुआ है
सब कहते हैं प्यार हुआ है

शक-ओ-शुब्हा की बात नहीं अब
आंखों से इकरार हुआ है

उनके पैरों की दस्तक से
हर ज़र्रा गुलज़ार हुआ है

इश्क़, इबादत, नेकी अब तो
लोगों का व्यापार हुआ है

राजनीति के दाँव-पेंच से
लोकतंत्र लाचार हुआ है

शादी लायक छुटकी भी अब
होरी फिर लाचार हुआ है

     ✍️ डॉ पवन मिश्र

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