Saturday 24 October 2015

ग़ज़ल- हालात मुनासिब हो जायें


हालात मुनासिब हो जायें।
गर उनसे मिलने को जायें।।

जानो पे रख लो सर मेरा।
इक रात चैन से सो जायें।।

बस यही इल्तिज़ा है मेरी।
चाहत में उसके खो जायें।।

ख़ामोश ख़ियाबां लगता है।
कुछ तो जाज़िब गुल बो जायें।।

ऐ खुदा मिले उनको जन्नत।
सजदे में तेरे जो जायें।

        -डॉ पवन मिश्र

जानो= गोद, इल्तिज़ा= निवेदन, खियाबां= बाग़, जाज़िब= आकर्षक, गुल= फूल

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