Sunday 24 July 2016

कुण्डलिया- आया सावन झूम के

आया सावन झूम के, पुरवाई के संग।
सोंधी ज्यों महकी धरा, महका हर इक अंग।।
महका हर इक अंग, लगे पेड़ो में झूले।
स्वागत हे ऋतुराज, पुष्प सरसों के फूले।।
कहे पवन ये मास, बहुत मनभावन आया।
तन मन की सुध लेन, सुनो ये सावन आया।१।

अब तक मानो थी धरा, बिन वस्त्रों की नार।
हरियाली साड़ी लिये, सावन आया द्वार।।
सावन आया द्वार, मिटाने सारी तृष्णा।
मधुर मिलन का रास, कि जैसे राधा कृष्णा।।
करें सभी आनन्द, रहे ये मौसम जब तक।
हर बगिया मुस्काय ,तरसती थी जो अब तक।२।

                                  ✍डॉ पवन मिश्र

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