Sunday 7 April 2024

ग़ज़ल- कीजिए रोशन उमीदी का चराग़

कीजिये रोशन उमीदी का चराग़
हौसलों का, ख़ुशनसीबी का चराग़

कोशिशों का तेल पाकर ही सदा
जगमगाता कामयाबी का चराग़

तीरगी में ही रहा सारा अवध
राम आए तो जला घी का चराग़

आँख तो इज़हार करती है मगर
होंठ पे रक्खा खमोशी का चराग़

हश्र तक मैं मुन्तज़िर उनका रहा
फिर बुझा मेरी यक़ीनी का चराग़

मुफ़लिसी का दर्द क्या समझेगा वो
घर में जिसके है अमीरी का चराग़

ऐ पवन कोशिश यही करनी तुझे
बुझ न पाए कोई नेकी का चराग़

✍️ डॉ पवन मिश्र

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