Wednesday 16 September 2015

ग़ज़ल- वो गए तो हमे याद आती रही

वो गए तो हमे याद आती रही।
रात काली उन्हें भी डराती रही।।

ख्वाब बेचैन थे नींद थी ही नहीं।
आप आये नहीं याद आती रही।।

रात में चाँद के साथ हम हो लिए।
चांदनी तेरे किस्से सुनाती रही।।

रात में बेकली किस कदर थी उन्हें।
सिलवटें चादरों की बताती रही।।
                   
होठ को शबनमी बूँद से क्या मिला।
खुद जली और हमको जलाती रही।।

पलकों की कोर पे सूखे मोती लिए।
सुर्ख़ मेहंदी हमें वो दिखाती रही।।
                 

                        -डॉ पवन मिश्र

12 comments:

  1. बेहद उम्दा पंडित जी बलिया वाले

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  3. बात ही बात से बात निकली बहुत
    आपकी लेखनी दिल लुभाती रही

    सुन्‍दर रचना पवन जी । बधाई ।

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  4. Aur bhi chijo.per blog kholna chahyie

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  5. Aur bhi chijo.per blog kholna chahyie

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