मेरे दिल को तो थोड़ा चहक जाने दो।
यारा हमको भी थोड़ा महक जाने दो।।
कब तलक ये नज़र तरसे दीदार को।
रोको मत रुख़ से पर्दा सरक जाने दो।।
मैकदे में कहाँ साकी तुमसा कोई।
आँखों के जाम थोड़ा छलक जाने दो।।
तेरी चाहत के मारे चले आये हैं।
अपनी बाँहों में हमको बहक जाने दो।।
जिनकी वजहों से हैं तंग आँगन मेरे।
इन दीवारों को थोड़ा दरक जाने दो।।
-डॉ पवन मिश्र
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