Monday 9 November 2015

दुर्मिल सवैया- हर बार हमी कहते तुमसे


हर बार हमी कहते तुमसे।
कुछ तो तुम भी दिन रात कहो।।

प्रिय मान सको कहना यदि तो।
निज अश्रु त्यजो अभिमान करो।।

यह जीवन प्रेम समर्पण है।
बस प्रीत क रीत निभाय चलो।।

इस जीवन का सपना तुम ही।
कवि मैं हमरी कविता तुम हो।।

               -डॉ पवन मिश्र

दुर्मिल सवैया-112 मात्राओं की आठ आवृत्ति

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