Friday 4 March 2016

ग़ज़ल- क्या कहूँ मेरे दिल में


क्या कहूँ मेरे दिल में छुपा कौन है।
पलकों की कोर पे ये रुका कौन है।।

इश्क में नूर बसता खुदाया का है।
इश्क से इस ज़मी पे जुदा कौन है।।

शाम बेरंग थी रंग किसने भरा।
गुल के जैसे महकता हुआ कौन है।।

मैं उसी मोड़ पर आज भी मुंतजिर।
पूछ लो आईने से गया कौन है।।

माना हमसे तुझे अब मोहब्बत नहीं।
फिर तुझे हिचकियाँ दे रहा कौन है।।

सारे इल्ज़ाम जब कर लिये अपने सर।
अब पवन क्या कहे बेवफा कौन है।।

                        -डॉ पवन मिश्र

मुंतजिर= प्रतीक्षारत





















No comments:

Post a Comment