Sunday 18 March 2018

जवानी- शक्ति छन्द आधारित मुक्तक


अगर इंकलाबी कहानी नहीं,
लहू में तुम्हारे रवानी नहीं।
डराती अगर हो पराजय तुम्हें,
सुनो मित्र वो फिर जवानी नहीं।१।


चलो यार माना बहुत ख़ार हैं,
चमन जल रहा कोटि अंगार हैं।
मगर ये जवानी मिली किसलिए,
तरुण के यही शुभ्र श्रृंगार हैं।२।

        ✍ डॉ पवन मिश्र

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