तू न आया तेरी तस्वीर से बातें की हैं।
तीरगी में भी युँ तन्वीर से बातें की हैं।।
तीरगी में भी युँ तन्वीर से बातें की हैं।।
इस जमाने की निगाहों में गुनहगारी की।
मैंने जब भी मेरी उस हीर से बातें की हैं।।
मैंने जब भी मेरी उस हीर से बातें की हैं।।
अब तो ज़ानों पे मेरे सर को रखो, बात करो।
अब तलक तो तेरी तस्वीर से बातें की हैं।।
अब तलक तो तेरी तस्वीर से बातें की हैं।।
शिकव ए ग़ैर में मशगूल सभी हैं लेकिन।
क्या कभी अपनी ही तक़्सीर से बातें की हैं?
क्या कभी अपनी ही तक़्सीर से बातें की हैं?
मौत का ख़ौफ़ भला उसको पवन क्या होगा?
जिसने ताउम्र ही शमशीर से बातें की हैं।।
जिसने ताउम्र ही शमशीर से बातें की हैं।।
✍ *डॉ पवन मिश्र*
तीरगी= अंधेरा
तन्वीर= उजाला, नूर
ज़ानों= घुटना, गोद
शिकव ए ग़ैर= गैर की शिकायत
तक़्सीर= कमी, भूल
तीरगी= अंधेरा
तन्वीर= उजाला, नूर
ज़ानों= घुटना, गोद
शिकव ए ग़ैर= गैर की शिकायत
तक़्सीर= कमी, भूल
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