Saturday 23 April 2016

ग़ज़ल- जिसे तुझसे मुहब्बत हो वो दीवाना किधर जाए


जिसे तुझसे मुहब्बत हो वो दीवाना किधर जाए।
खुदा तू ही दिखा रस्ता बता दे किस डगर जाए।।

बहुत बेज़ार कर डाला हमे तेरे तग़ाफ़ुल ने।
कहीं ऐसा न हो तेरा दिवाना अब बिखर जाए।।

तुझे ही जब नहीं फ़ुरसत मेरे गम को मिटाने की।
बुझाने तिश्नगी अपनी ये दीवाना किधर जाए।।

मेरी दुनिया मुकम्मल है उसी किरदार के कारण।
वही दिखता है अब हमको जहां तक भी नज़र जाए।।

बड़ी मुश्किल से आये आज वो मेरे बुलाने पर।
न आये कोई अब आफत कि दिन यूँ ही गुज़र जाए।।

वही रस्ता वही मंजिल वही हैं रहनुमा मेरे।
पवन की बस यही चाहत जिधर वो हों उधर जाए।।

                                       ✍डॉ पवन मिश्र

तग़ाफ़ुल= उपेक्षा          तिश्नगी= प्यास

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