Sunday 24 April 2016

ग़ज़ल- उन्हें देखकर दिल मचलने लगा है


उन्हें देखकर दिल मचलने लगा है।
उन्हीं के तसब्बुर में रहने लगा है।।

नज़र ढूँढती हर बशर में उन्हीं को।
फ़िज़ाओं में वो ही महकने लगा है।।

बहुत संगदिल मेरा दिलबर है लेकिन।
तपिश से मेरी वो पिघलने लगा है।।

नहीं चोर था उनके दिल में अगर तो।
दबे पाँव क्यूँ वो गुजरने लगा है।।

दुआऐं किसी की असर कर रही हैं।
ये देखो मेरा जख़्म भरने लगा है।।

मिला है पवन को तेरा साथ जब से।
ज़माना न जाने क्यूँ जलने लगा है।।

                    -डॉ पवन मिश्र
बशर= आदमी

No comments:

Post a Comment