Tuesday 10 May 2016

नवगीत- जीवन है आपाधापी है


कुछ रीत गया, कुछ बाकी है।
जीवन है आपाधापी है।।

कुछ अति कठोर, कुछ भंगुर है।
कुछ क्षणिक मगर कुछ शाश्वत है।।
खुशियाँ है घोर उदासी है।
जीवन है आपाधापी है।।

कुछ स्मृति में, कुछ विस्मृत है।
कुछ पाया कुछ से दूरी है।।
कुछ सम्मुख कुछ आभासी है।
जीवन है आपाधापी है।।

मृगतृष्णा है, जल भी है।
कुछ कल बीता कुछ कल भी है।।
सुख-दुख की हिस्सेदारी है।
जीवन है आपाधापी है।।

  ✍डॉ पवन मिश्र

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