Saturday 15 April 2017

ग़ज़ल- क्या करें (हास्य ग़ज़ल)

२१२२   २१२२   २१२२

उनके आगे हम हैं बेदम क्या करें ?
बचने के आसार हैं कम क्या करें ?

आज घर आने में देरी हो गयी।
देखिये अब हाल बेगम क्या करें ?

बाल सर के रफ़्ता रफ़्ता जा रहे।
*जाने वाली चीज़ का गम क्या करें ?

ताश के किस खेल में हम आ गए।
सारे पत्ते उनके ही हम क्या करें ?

चाँद तारे फूल खुशबू कुछ नहीं।
खौफ़ में है दिल का मौसम क्या करें ?

युद्ध से डरता नहीं है ये पवन।
पर घरैतिन न्यूक्लियर बम क्या करें ?

                           ✍ डॉ पवन मिश्र
* दाग देहलवी साहब का मिसरा

No comments:

Post a Comment