Sunday 1 October 2023

ग़ज़ल- वो लड़की करीब और आने लगी

वो लड़की करीब और आने लगी
मेरी धड़कनों में समाने लगी

ठिठुरती हुई रात बेबस बनी
वो सांसों से सांसे मिलाने लगी

बरसने को मुझपे वो तैयार है
घने मेघ सी नभ पे छाने लगी

न मैकद न सागर न कोई सुबू
लबों से ही मय वो पिलाने लगी

मुहब्बत का ऐसा हुआ है असर
मेरे गीत वो गुनगुनाने लगी

नहीं उसके जैसा कोई दूसरा
मेरी दीद मुझको बताने लगी

मिला साथ उसका है जबसे सुनो
मुझे जिंदगी रास आने लगी

सफर में बढ़ी धूप जैसे ही कुछ
अचानक ही मां याद आने लगी

ख़यालों में मेरे वो आकर पवन
हसीं एक दुनिया बसाने लगी

✍️ डॉ पवन मिश्र

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