Saturday 13 January 2018

गीत- उत्तरायण हो रहे रवि को नमन (मकर संक्रांति विशेष)


शुभ रश्मियों का हो रहा है आगमन,
किस विधि से आज कर लूँ आचमन।
पुन्य वेला में निरखती ये धरा है,
उत्तरायण हो रहे रवि को नमन।।

प्राणियों में प्रेम का संचार हो,
बस परस्पर मेल का व्यवहार हो।
हम बढ़ें तुम भी बढ़ो यह भाव हो,
आचरण हो शुद्ध औ सद्भाव हो।।
अब नहीं टूटन रहे ना ही चुभन,
उत्तरायण हो रहे रवि को नमन।।

मैं अकिंचन राह दिखलाओ प्रभो,
मूढ़ मति हूँ ज्ञान भर जाओ प्रभो।
स्वार्थ का तम बढ़ रहा संसार में,
हर नाव देखो फंस गई मंझधार में।।
हे दिवाकर पाप का कर दो शमन,
उत्तरायण हो रहे रवि को नमन।।

                  ✍ डॉ पवन मिश्र

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