Sunday 14 January 2018

गीत- वाणी यायावरी परिवार (व्हाट्सएप समूह) के सम्मिलन हेतु विशेष

स्नेह सम्मिलन तुम्हे पुकारे, चलो रे बीकानेर।
स्नेह सम्मिलन तुम्हे पुकारे, चलो रे बीकानेर।।

पकड़ो गाड़ी हावड़ा या प्रताप या मरुधर,
चाहे दिल्ली होकर आओ राह तके है मरुथर।
माह फरवरी की ग्यारह को मिलना है दीवानों,
शमा जली है स्नेह मिलन की आ जाओ परवानों।।
जल्दी से अब टिकट करा लो हो न जाये देर,
स्नेह सम्मिलन तुम्हे पुकारे, चलो रे बीकानेर।।

पहली बार किशनपुर वाले भूल गए क्या वो पल,
एकडला के गन्नों का रस वो यमुना का कल-कल।
याद नहीं क्या प्रथम मिलन की नेह भरी वो बतिया,
जौ मकई की सोंधी रोटी वो अमरूद की बगिया।।
वाणी के उस प्रथम मंच से खूब दहाड़े शेर,
स्नेह सम्मिलन तुम्हे पुकारे, चलो रे बीकानेर।।

दूजी बार गए ददरा अब्दुल हमीद के गांव,
अबकी बार थी अमराई और उसकी ठंडी छाँव।
चटक धूप में सभी मगन थे नेह की चादर ताने,
ढोल मंजीरे से उल्लासित कजरी के दीवाने।।
उमड़ घुमड़ कर वही भाव फिर हमें रहा है टेर,
स्नेह सम्मिलन तुम्हे पुकारे, चलो रे बीकानेर।।

                                  ✍ डॉ पवन मिश्र

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