Sunday 7 January 2018

ग़ज़ल- झूठे वादों से बहलाया जाता है


झूठे वादों से बहलाया जाता है।
और सियासत को चमकाया जाता है।।

मन्दिर-मस्जिद हिन्दू-मुस्लिम को लेकर।
कितना झूठा पाठ पढ़ाया जाता है ?

जन्नत के कुछ ख़्वाब दिखा कर मोमिन को।
बस नफ़रत का ज़ह्र पिलाया जाता है।।

दिल के भीतर शक-ओ-शुब्हा की मिट्टी से।
दीवारों को सख़्त बनाया जाता है।।

आज सियासत में ऊंचाई पाने को।
जिंदा लोगों को दफ़नाया जाता है।।

गुल को ख़ौफ़ज़दा रखने की नीयत से।
वहशी काँटों को पनपाया जाता है।।

                   ✍ *डॉ पवन मिश्र*


मोमिन= मुस्लिम युवक

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