Wednesday 6 January 2016

ताटंक छन्द- पठानकोट आक्रमण के सन्दर्भ में


उस नापाक पड़ोसी ने फिर, भारत को ललकारा है।
घात लगा के कुछ श्वानों ने, फिर सिंहो को मारा है।।
अपनी कुत्सित चालों का फिर, उसने दिया इशारा है।
विश्व गुरू बन जाये भारत, उसको नहीं गवारा है।।

दिल्ली वाले मौन बने क्यों, अब तो अपनी बारी है।
शांति पाठ ही होवे हरदम, ऐसी क्या लाचारी है।।
निर्णय करलो अबकी उसको, सीखें ऐसी दी जायें।
मानचित्र ले हाथों में वो, ढूंढे अपनी सीमायें।।

                                     -डॉ पवन मिश्र

शिल्प- 16,14 मात्राओं पर यति तथा पदांत में तीन गुरु

2 comments:

  1. आक्रोश व्यक्त करती सार्थक रचना ।बधाई हो आदरणीय पवन जी ।बहुत शुभकामनाएँ ।।।

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  2. आक्रोश व्यक्त करती सार्थक रचना ।बधाई हो आदरणीय पवन जी ।बहुत शुभकामनाएँ ।।।

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