Saturday 9 January 2016

ग़ज़ल- वक्त की तासीर देखो


वक्त की तासीर देखो।
ख़ाक में जागीर देखो।।

भूख से बच्चे बिलखते।
उनकी क्या तकसीर देखो।।

रहनुमा खुद ही भटकते।
मुल्क की तकदीर देखो।।

बन के ठेकेदार देते।
मज़हबी तकफीर देखो।।

खुद को जेहादी बताना।
कुफ़्र की तकबीर देखो।।

नीव में जिसके पसीना।
उसकी तुम तामीर देखो।।

             -डॉ पवन मिश्र

तासीर= मिजाज, स्वभाव    तकसीर= दोष, भूल
तकफीर= मुसलमान पर कुफ़्र का फतवा लगाना
कुफ़्र= धर्म विरूद्ध                तामीर= बनावट
तकबीर= अल्लाहो अकबर कहना

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