Thursday 31 December 2015

पञ्चचामर छन्द- नवीन वर्ष


निशा कहीं चली गयी नया प्रभात छा गया।
प्रकाश पुंज जो खिला नवीन वर्ष आ गया।।
सुनो नवीन वर्ष में सदा यही प्रयास हो।
सप्रेम ही मिले सभी मनुष्य का विकास हो।१।

न द्वेष हो न राग हो न हो कहीं मलीनता।
धरा खिले बहार से सदा रहे नवीनता।।
करो सभी विचार ये ध्वजा कभी झुके नहीं।
बढ़े चलो मिले चलो कि देश ना रुके कहीं।२।

                                 -डॉ पवन मिश्र





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