Tuesday 21 June 2016

गज़ल- तेरा आना, मुस्कुराना

तेरा आना, मुस्कुराना।
याद है हर इक फ़साना।।

सामने आकर दुज़ानू।
दिल की सब बातें बताना।।

याद मुझको गेसुओं में।
उँगलियां तेरा फिराना।।

आज तक फिर भी न समझा।
आके तेरा लौट जाना।।

सोचना फ़ुर्सत मिले तो।
क्या मिला चुनकर ज़माना।।

फूल से बेज़ार होकर।
क्यों चुना काँटे सजाना।।

बस पवन की आरज़ू ये।
लौट आये वो ज़माना।।

        ✍ डॉ पवन मिश्र

दुज़ानू= घुटने के बल बैठने की मुद्रा

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