Sunday 5 June 2016

ग़ज़ल- दो चार पल में सारा नज़ारा बदल गया

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दो चार पल में सारा नज़ारा बदल गया।
वो मेरे क्या हुए ये ज़माना बदल गया।।

सोचा कि दिल के राज़ बता दे उन्हें सभी।
आये जो रूबरू तो इरादा बदल गया।।

पाँवों पड़ी जो बेड़ियाँ रस्मो रिवाज़ की।
मेरे तुम्हारे प्यार का रिश्ता बदल गया।।

हासिल भले हुआ न हो कुछ तुझको ऐ सनम।
पर मेरी जिंदगी का सलीका बदल गया।।

वादे इरादे तोड़ के जाने गया किधर।
क्या हो गया जो यार वो इतना बदल गया।।

गढ़ता है रोज आयतें अपने हिसाब से।
सत्ता की तिश्नगी में ख़लीफ़ा बदल गया।।

खुद को बदलते जो यहाँ कपड़ों की ही तरह ।
देते हैं दोष वक्त ये कितना बदल गया।।

हर्फ़े निहाँ में अक़्स तेरा आ गया पवन।
यारों मेरी ग़ज़ल का तो लहज़ा बदल गया।।


                          ✍ डॉ पवन मिश्र
आयतें= क़ुरान के वाक्य
तिश्नगी= प्यास
ख़लीफ़ा= प्रतिनिधि
हर्फ़े निहाँ= छुपे हुए शब्द

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