जिंदगी में वो मेरे रंग-फ़िशानी देगा
पास बैठेगा मुझे शाम सुहानी देगा
ख़ुश्क जज़्बात को वो आब-रसानी देगा
मेरी गज़लों को मेरा यार रवानी देगा
अपने पहलू में मुझे देगा सुकूँ वो यारों
और शेरों को मेरे रूह-म'आनी देगा
उसका होना ही चमक देता है नज़रों को मेरी
ये ज़माना तो महज आंखों को पानी देगा
तू ने भी मान लिया है जो मुझे मुज़रिम तो
फिर बता कौन मेरे हक़ में बयानी देगा
घर की तुलसी की नहीं कद्र यहां जब यारों
तो बबूलों को भला कौन मकानी देगा
✍️ डॉ पवन मिश्र
आब-रसानी= पानी पहुँचाना
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