कोई प्यासा ही था जिसने नदी ईजाद की होगी
ग़मों से लड़ रहा होगा खुशी ईजाद की होगी
तसव्वुर में किसी के हर घड़ी महबूब ही होगा
तभी उसने कसम से बंदगी ईजाद की होगी
किसी प्यासे या प्रेमी ने किसी मुफ़लिस या राजा ने
भला किसने यहां बादा-कशी ईजाद की होगी
हवा-पानी, कड़कती धूप से बेज़ार होकर ही
किसी ने एक सुंदर झोपड़ी ईजाद की होगी
बशर कैसे उसे कह दूँ, फ़रिश्ता ही रहा होगा
कि जिसने इस जहाँ में दोस्ती ईजाद की होगी
✍️ डॉ पवन मिश्र
बादा-कशी= मदिरापान
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